सनातन का अर्थ                                                                                                                                     शाश्वत सदा रहने वाला अंतहीन (जिसका न अदि हे न अन्त हे)                                                                                                                       सनातन एक जीवन पद्धति हे ,जिसे लोगो ने धर्म का नाम दे दिया हे। जबसे मानव सभ्यता का उदय हुआ हे हमारे पूर्वजों ने प्रकृति को अच्छी तरह से समझा हे व् उसी के अनुरूप आचार व्यव्हार करते हुए सुख पूर्वक रहना सीखा हे,हमारे पूर्वज जानते थे की प्रकृति के अनुरूप कैसे जीना हे। जीवन और मृत्यु के बीच का फैसला किस प्रकार सुख पूर्वक पूरा करना हे। है सभी जानते हे की पृथ्वी ,पानी,हवा,आग,और आकाश के बिना हमारा जीवन संभव नहीं हे ,इन्हे पंचमहाभूतों के नाम से हम जानते हे। इन पंचमहाभूतों का जीवन में मत्वपूर्ण स्थान हे,ये हमारे जीवन का आधार हे। परमपिता परमात्मा ने हमें यह सभी उपहार मुफ्त में दिए हे, लेकिन हमने इनके साथ क्या किया ,कभी सोचा हे, १ पृथ्वी - जो हमारे शरीर का पोषण करती हे हम उसे वापस क्या करते हे ? अपने शरीर की गंदगी ? २ - वायु - वायु जिसके कारण हम जीवित हे उसे वापस क्या देते हे प्रदूषण ,जहरीली गैसे ? ३- पानी - पानी जो हमारे जीवन का आवश्यक तत्व हे ,वापस क्या देते हे ? केवल गंदगी  ? ४ - अग्नि -(ऊर्जा) जिसका हम अभी तक सही ढंग से उपयोग ही नहीं करपा रहे हे। ५ - आकाश - अनंत आकाश जिसको हम कभी जानने का प्रयास ही नहीं करते,कुछ लोग जो प्रयास करते हे उन्हें हम पागल समझते हे। सही भी हे प्रजातंत्र में बहुमत ही सबकुछ होता हे ,और ९५% लोगों का जो पैदा होते हे बच्चे पैदा करते हे और मर जाते हे, ऐसे ही लोगों का बहुमत हे बेचारे ५% समझा ही नहीं पाते,लोग उन्हें मुर्ख समझते हे। और अपनी समस्याओं में ही उलझकर अपना जीवन पूर्ण कर लेते हे। क्या अपनी जीवन पद्धति बदलकर सुख पूर्वक जीवन जीने के बारे में सोचा हे ? हमारे शास्त्रों में  ४ युग बताये गए हे ,१ सतयुग २ त्रेतायुग ३ द्वापरयुग ४ कलयुग। अभी शास्त्रों के हिसाब से कलयुग चल रहा हे। हम सभी जानते हे इस युग में काम,क्रोध,लोभ,मद, व्यभिचार ,हिंसा छल, कपट का बोलबाला रहेगा,क्या इस स्थिति को बदला जा सकता हे ? हां अगर सभी पूर्ण समभाव से प्रयास करें। आज हमने इतने विज्ञानके द्वारा आविष्कार किये हे की बहुत कुछ बदला जा सकता हे। पहले के ३ युगों में भी बहुत कुछ सम्भव था लेकिन वह हमारे लिए केवल इतिहास ही हे ,उससे से हम प्रेरणा ही ले सकते हे। क्या हम ऐसा संकल्प करें की जो भी हमारे पास अविष्कार हे उसका उपयोग जनकल्याण के लिए ही करें।  लेकिन कुछ स्वार्थी लोग उनका उपयोग विनाश के लिए कर रहे हे, क्या ऐसे लोगों के लिए सभ्य समाज में जगह होनी चाहिए ?मनन चिंतन करे। स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए हमारे पूर्वजों ने मार्गदर्शन (ज्ञान) दिया हे शास्त्रों में भी लिखा हे सादा जीवन उच्च विचार रखें सत्कर्म करें छल,कपट हिंसा से दूरी बनाये रखें।कोशिश करें ९५% से बाहर निकले आगे आपकी इच्छा। धन्यवाद।  

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