पंच तत्व ---और मानव शरीर में स्थान
१ -- पृथ्वी तत्व -- इसका सम्बन्ध हमारे शरीर से होता हे । यह स्थूल
शरीर हमें हमारे माता पिता द्वारा मिलता हे ,जो हम खाना खाते हे उससे ही बनता- बढ़ता हे लेकिन हम क्या
खाते हे, उसका हमारे मन,बुद्धि पर सीधा प्रभाव
पड़ता है, जैसे हम तामसिक खाना
ज्यादा खाते है तो हमारे मन में तामसिक प्रवत्ति ज्यादा हो जाती है, और सात्विक खाना खाते हे
तो हमारा व्यवहार अहिंसक सत्यनिष्ठ रहता हे। शरीर में जो आत्मा रहती हे वह जब तक
चैत्यन्य रहती हे हम जीवित रहते हे। ७ चक्रो में इसका स्थान गुदा बताया जाता हे,और रिंग फिंगर का भी
सम्बन्ध हे। शरीर में इसका १२% अंश रहता हे।
२ - जल तत्व -- जल का हमारे
शरीर में ७२% अंश रहता हे,यह मुख्यतः खून,अमाशय ,ब्रेन,जीभ अदि में रहता
हे। इसका स्थान चक्रो में गुदा स्थान से
थोड़ा ऊपर होता हे व् कनिष्ठा ऊँगली में प्रतीत्मक होता हे। ३ -- अग्नि तत्व - इसका ४% हमारे शरीर में होता हे यह
हमारे पाचन तंत्र ,शारीरिक ऊर्जा,आंखोके तेज और हमारे सभी
अंगो को ऊर्जा देता हे। इसका स्थान चक्रो
में नाभि,रीढ़ की हड्डी क पास होता हे,इसकी प्रतीकात्मक ऊँगली मध्यमा हे।
इसे सौर जाल चक्र भी कहते हे। ४ - वायु तत्व -- यह तत्व सबसे
महत्वपूर्ण हे इसे आत्मा भी कह सकते हे यदि वायु नहीं होगी तो हमारा जीवन संभव ही
नहीं हे। यह हमारे शरीर के अनहत चक्र में स्थित हे।हमारे शरीर में ५ प्रकार की
प्राण वायु होती हे और ५ उप प्राण होते हे। -- ५ प्राण वायु १ -उदान २ -
प्राण ३- समान ४ - अपान - ५ - व्यान इनके ५ उप प्राण भी होते है ( १ -नाग २- कूर्म
३ - देवदत्त ४ - क्रेकलॉ ५- धनंजय ) १
उदान वायु - यह वायु हमारे शरीर में गले से ऊपर काम करती है कान,नाक,मुँह ,मष्तिक आदि। २ प्राण वायु - यह वायु मुख्यतः हमारे खून में
रहती है नसों में बहती रहती है। ३ - समान वायु -- यह वायु हमारे शरीर के हड्डियों
में संतुलन बनाने और पुष्ट बनाने में सहयोग करती है। ४ - अपान वायु - यह वायु
हमारे पाचन तंत्र से उपशिष्ट को बाहर निकलती है और शरीर के निचले भाग को संचालित करती है। ५ - व्यान वायु - यह वायु हमारे पुरे शरीर में
संचालित होती रहती है। जिस कारण हम गतिशील रहते है। उप प्राण जैसे,पाद ,डकार ,हिचकी,छींक,उलटी। ५ -- आकाश तत्व -- मष्तिष्क में
विचार,मन की गति,ज्ञान का अनुभव। ज्ञान की
पराकाष्ठा तक। यह हमारे शरीर के मष्तिष्क में ब्रह्मरन्द्र में स्थित हे।
हम अपने शरीर के पांचो तत्वों को योग,प्राणायाम द्वारा सिद्ध
करके जीवन में मोक्ष को पा सकते हे।
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