प्राण ऊर्जा क्या हे हमारे जीवन के लिए ऊर्जा
मतलब वह शक्ति जिसकी हमे हर क्षेत्र में जरुरत होती हे ,ऊर्जा से ही हमारी जरूरते पूरी होती हे। अगर ऊर्जा नहीं होगी
तो हमारा जीवन असंभव हो जायगा,क्या कभी सोचा हे हमारे
शरीर को ऊर्जा किस प्रकार मिलती हे ,आप कहेंगे खाने,पीने से - नहीं हम जो
खाते पीते हे उसे पचाने के लिए भी ऊर्जा की जरुरत पड़ती हे, आप कहेंगे शारीरिक श्रम से हमारा खाना,पीना पचता हे ,हां लेकिन फिर भूख लग जाती हे उसका क्या ?आजकल कारखानों में हमारी आवश्यकता की वस्तुओ का
उत्पादन होता हे,खेतो से हमें खाद्य
सामग्री मिल जाती हे, सभी वस्तुओ के उत्पादन
में हमें ऊर्जा कोयला,डीझल,पेट्रोल,व ऊर्जा के अन्य साधनो से मिल जाती हे। हम उन पर निर्भर हे।
लेकि हमारे शरीर को ऊर्जावान बनाये रखने के लिए प्रकृति ने जो हमें मुफ्त में
उपहार दिया हे उसका सही ढंग से उपयोग करते हे। नहीं ? हम सभी मोबाईल का उपयोग करते हे, लेकिन वह चार्ज नहीं होगा तो कैसे काम करेगा, हमारे उद्योग बिना ऊर्जा कैसे चलेंगे,आप सभी जानते हे वायु ( प्राणवायु) के बिना
हमारा शरीर कुछ क्षण ही जीवित रह सकता हे। इसीलिए हमारे शरीर को हवा (ऑक्सीजन) की
हमेशा जरुरत होती हे। आपने देखा होगा अस्पतालों में जब किसी को आय सी यू में रखते
हे तो उसे ऑक्सीजन ही देते हे क्यों ? वो जीवित रह सके। ऑक्सीजन को ही प्राणवायु कहते हे। वैसे हमारे शरीर में ५
प्रकार की प्राण वायु और ५ प्रकार की उप प्राण वायु रहती हे ऐसा हमारे शास्त्रों
में वर्णन मिलता हे। क्या कभी आपने अनुभव किया हे ,की आप जब अधिक परिश्रम का कार्य करते हे तो
आपकी श्वास तीव्र और छोटी हो जाती हे। कारण हे आपके शरीर को प्राणवायु की ज्यादा
जरुरत हे, आप जब अत्यधिक परिश्रम
करते हे तो थकान के कारण थोड़ा विश्राम करते हे ताकि आपके शरीर में वापस ऊर्जा का
संचार हो सके। श्वास को नियन्त्रित करने
के लिए हमें हमारे पूर्वजो ने व शास्त्रों में कई विधियाँ बताई गयी हे। क्या आप जानते
हे इस पृथ्वी पर जिनते भी जीव,जंतु पाए जाते हे उनकी
आयु श्वास लेने की क्रिया पर निर्भर हे। कछुआ १ मिनट में ४-५ बार श्वास लेता हे और
१५०-२०० वर्ष जीवन जीता हे। जानवर १ मिनट में २५-३० बार श्वास लेते हे और २०-३०
वर्ष जीवन जीते हे। और मनुष्य जिसको भगवान ने बुद्धि दी हे १ मिनट में २०-२५ बार
श्वास लेता हे और एवरेज ७० वर्ष ही जीवन जी पाता हे, कुछ भाग्यवान ही जो अपने शरीर को स्वस्थ रखते हे १०० वर्ष पूर्ण करपाते हे। हम अपनी श्वास को
नियन्त्रित करके अपनी जीवन अवधि के साथ -साथ स्वस्थ रोग मुक्त कर सकते हे। वह भी
मुफ्त में। १ पैसा भी खर्च नहीं करना हे। आप अपने को स्वस्थ रखने क लिए जिम,व्यायाम शाला,योगा क्लासेस,मॉर्निंग वाक अदि-अदि जाते हैं ।आज हमारे व्यस्तता भरे जीवन
पद्धति में हमें शारीरिक के साथ मानसिक ऊर्जा की भी अत्यधिक जरुरत पड़ती हे। और
हमारी अधिक ऊर्जा गलत खाने-पीने को पचाने में भी खर्च होती हे। क्या हम इतनी ऊर्जा
एकत्रित करते हे ,मोबाईल और लैपटॉप चलाने
वालो से पता करो कितनी बार चार्ज में लगाना पड़ता हे। इन सभी के लिए हमने चार्जर
बना रखे हे ,लेकिन कभी अपने शरीर का
चार्जर कहाँ हे पता करने की कोशिश की हे ?
पृकृति ने हमें अदृश्य
चार्जर दे रखा हे जिससे से हम अपने शरीर को चार्ज करते रहते हे,लेकिन कितना ? आप सभी जानते हे जब माँ
के पेट में बच्चा होता हे तो उसका पालन पोषण माँ की गर्भ नाल से ही ९ माह चलता हे।
बच्चा गर्भनाल से ही जुड़ा होता हे। उसका श्वास प्रश्वास नाभि केंद्र से ही होता
हे। क्या आपने कभी गौर किया हे की आपकी श्वास जो आप नासिका द्वारा लेते हे पेट के
ऊपर फेफड़ो तक ही सिमित रहती हे ९०% से ज्यादा लोग यही करते हे। हमारे पूरे शरीर को
स्वस्थ रखने के लिए ये पर्याप्त नहीं हे। हमें अपनी श्वास प्रक्रिया को ठीक करना
होगा तभी हम स्वस्थ जीवन जी सकेंगे। हमें अपनी श्वास को लम्बी व गहरी नाभि केंद्र
तक ले जानी हे और धयान रखे १ मिनट में ७-८ बार तक सिमित करने की कोशिश करे,ऐसा करने से आप स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहोगे,कई बीमारीओं से हमेशा के लिए दूर रहोगे,यह प्रयोग केवल ९० दिन कर के अपना व अपने परिजनों का जीवन
बदल सकते हो। मुफ्त की सलाह हे मानों तो फायदा ना मानों तो कोई बात नहीं। पहला सुख
निरोगी काया - पहले खुद स्तेमाल करो फिर विश्वास करो। धन्यवाद ।
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