मानव या मोबाइल
आजकल विश्व में लगभग ७०% लोग मोबाईल का उपयोग करते हे। यह
यंत्र हमारे जीवन में इतना जरुरी हो गया हे की हम अपना अस्तित्व खोते जा रहे हे।
क्या आपने कभी सोचा हे की आपमें और मोबाईल में क्या अन्तर रह गया हे। क्या आप उसके
गुलाम नहीं बन रहे। खासकर भारत के (सनातनीओ) से पूछना चाहता हु, क्या वो अपनी ऋषि परम्परा
भूल गए हे। जहां ऐसे उपकरण सामान्य थे, आज भी कई मंदिरो के
शिलालेखों में कई उपकरणों का पत्थरो पर नक्काशी द्वारा चित्रण मिल जाता
हे।आओ मोबाईल और मानव की तुलना करते हे। १ - मोबाईल मानव द्वारा बनाया यंत्र हे - मानव जन्म हमे अपने माँ -पिता
द्वारा मिलता हे। २ - मोबाईल बिजली से
चार्ज होता हे तो वह कार्य करता हे - मानव भोजन और वायु द्वारा चार्ज होता हे। ३- मोबाईल में जो
मेमोरी(जानकारी) होती हे वह हमें स्वयं और नेट द्वारा जो डाली जाती हे मिलती हे - मानव स्वयं अपनी मेमोरी (
जानकारी) बन।ता हे अपने अनुभव से। ३ - मोबाईल में जो जानकारी हमें नहीं
चाहिए वह हम डिलीट कर सकते हे लेकिन मानव अपने कर्मो से बंधा होने के कारन कोई भी अच्छी बुरी जानकारी नहीं
निकल सकता हे ।
४ - मोबाईल को हम चलाते हे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा हे की मोबाईल हमें चला रहा हे।
हम उसके गुलाम होता जा रहे हे। आजकल बच्चो को मोबाईल देकर हम उनकी मानसिक स्थिति को
कमजोर नहीं कर रहे हे, उनके मष्तिष्क को गुलाम
नहीं होने दे रहे हे। हम अपनी और अपने
बच्चो के मेमोरी बढ़ाने क लिए क्या करते हे गूगल पर निर्भर हो रहे हे ,Aआई भी इसी कड़ी में जुड़
गया हे। हमारे ऋषियों ने योग,प्राणायाम कि कई विधियां बताई हे जिससे हम अपनी मेमोरी (जानकारी)
को उच्च स्तर तक ले जा सकते हे। मानव मोबाईल और कई सारे उपकरण बना सकता हे ,
लेकिन कोई भी उपकरण मानव
नहीं बना सकता हे। फैसला आपका हे, इन उपकरणों के गुलाम बनकर
जीवन यापन करो या इनका केवल मात्र जरुरत के लिए ही उपयोग करो। धन्यवाद।
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