शेष नाग के फ़न पर पृथ्वी टिकी हे,इस कथन का सम्बन्ध            उपरोक्त कथन से हमारे ऋषियों का आशय हमारे शरीर में स्थित सात चक्रो से हे। जो भी अध्यात्म के बारे में थोड़ा,बहुत जानकारी रखता हे वह ये जानता हे, की हमारे शरीर में प्रमुख सात चक्र होते हे, जो हमारे पूरे शरीर (जीवन) को नियंत्रित करते हे,पहले चक्र मूलाधार के निचे हमारी रीढ़ के अंतिम छोर पर एक सर्पाकार कुंडलिनी होती हे, उसे ही शेष नाग कहा गया हे,जिनके सात फनो पर हमारा जीवन चक्र आधारित हे। 1-मूलाधार चक्र का सम्बन्ध पृथ्वी तत्व से जुड़ा होता हे,यह हमारे गुदा स्थान के समीप होता हे।2 -दूसरे चक्र स्वाधिष्ठान से जल (पानी) तत्व का संबंध होता हे, यह हमारे शरीर के उपस्थ (जननेन्द्री) के पास होता हे।3- तीसरे चक्र मणिपुर का संबंध अग्नि से होता हे,यह हमारे नाभि केंद्र के पास होता हे, इसके द्वारा   ही हम जो खाना खाते हे, हमारे अमाशय की अग्नि द्वारा पचाया जाता हे। 4-चौथा चक्र अनाहत होता हे इसका संबंध हमारे हृदय से होता हे,ह्रदय का सम्बन्ध हमारे मन से होता हे, और जैसे हमारा मन चंचल होता हे, और एक मिनट कई विचार करता हे, वैसे ही ह्रदय भी 1मिनट में कई बार धड़कता हे। पांचवा चक्र विशुद्धि कहलाता हे ,इसका संबंध हमारे गले से होता हे,यही से हमारी प्रमुख इन्द्रियाँ आंख,नासिका,कान,जिव्हा,(आवाज)मष्तिष्क कार्य करते हे। छठा चक्र आज्ञा चक्र कहलाता हे,इसका सम्बन्ध हमारे दोनों आँखों के बीच स्थान से होता हे,इसे हम सिक्ससैंथ भी कहते हे। सातवां चक्र सहस्त्रार चक्र कहलाता हे, यह हमारे शरीर के शिखा (चोटी) पर स्थित होता हे,यहाँ तक का ज्ञान अभी तक पूरा किसी को भी नहीं हे। ये ब्रह्म द्वार हे। धन्यवाद।                                  

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