ॐ परमात्मने नमः समस्त आत्माओ को जो नर-नारी रूप में इस भूलोक में उपस्थित हे को मेरा प्रणाम स्वीकार हो। हम सभी आत्माओ को परमपिता परमात्मा ने यह शरीर रूपी यंत्र देकर इस पृथ्वी पर किस उद्देश्य से भेजा हे क्या हम जानते हे ? शायद कुछ लोग ही जानते हे ,अधिकतर लोग बिलकुल नहीं जानते हे। सबसे पहले हमें यह समझना होगा की हम क्या हे,क्यों हे। परमात्मा ने एक ऐसी प्रकृति की रचना की हे जिसको समझ कर हम अपने एक जन्म को सफल बना कर दूसरे जन्म के लिए तैयार होते हे,जैसे हम एक कक्षा पास करके दूसरी कक्षा में प्रवेश पाते हे। हमारे जीवन की पहली कक्षा हम कैसे पास कर सकते हे क्या -क्या प्रश्नोत्तर होंगे क्या हमें पता हे ,पता तो हे लेकिन हम सही प्रकार से समझ नहीं पाते हे। पहला प्रश्न हे पृकृति के गुण - प्रकृति में तीन गुण हे ,पहला हे सत्व गुण ,दूसरा हे रजो गुण ,तीसरा हे तमो गुण। सत्व गुण :-ज्ञान, विवेक,शांति,संतोष,सकारात्मकता,दया,आत्म-नियंत्रण,निर्मलता,सात्त्विक भोजन सतोगुण व्यक्ति को सुख और ज्ञान में बांधता है, लेकिन यह भी एक बंधन ही है क्योंकि यह व्यक्ति को गुणातीत होने से रोकता है। दूसरा हे रजोगुण :-स्वार्थ,गतिविधि,कर्मठता,इच्छा, महत्वाकांक्षा,बेचैनी, असंतोष,भावनात्मक उतार-चढ़ाव,राजसिक भोजन रजोगुण व्यक्ति को सकाम कर्म (फल की इच्छा से किए गए कर्म) में बांधता है और दुःख का कारण बनता है। तीसरा तमोगुण :-आलस्य,निष्क्रियता,अज्ञान,भ्रम,नकारात्मकता,प्रमाद,लापरवाही,तामसिक भोजन तमोगुण व्यक्ति के ज्ञान को ढँक देता है और उसे प्रमाद (लापरवाही) में बांधता है, जिससे अज्ञान और कष्ट की प्राप्ति होती है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति में तीनों गुण मौजूद होते हैं, लेकिन किसी एक गुण की प्रधानता उसके स्वभाव और कार्यों को निर्धारित करती है। इन गुणों के संतुलन को बदलकर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। योग और आध्यात्मिक अभ्यास, सात्विक भोजन, और सकारात्मक विचार हमें सतोगुण बढ़ाने में मदद करते हैं। हम इन तीनो गुणों को अपने जीवनकाल में देखेंगे तो हमें पता चलेगा की हमारी वास्तविक स्थिति क्या हे हम कहाँ खड़े हे,और हम अपनी कक्षा में आगे क्यों नहीं बड़ रहे हे। आज का मनुष्य अपने-पराये,मान-अपमान,बड़ा-छोटा,के माया जाल में फसा रहता हे वह भूल जाता हे की परमात्मा ने हमें नियत समय परीक्षा पास करने के लिये दिया हे। अगर हम फेल हो गए तो वापस पुनर्जन्म में पृथ्वी पर आना पड़ेगा ,और क्या पता किस विषम परिस्थिति वाले परिवार में जन्म होगा। इसलिए इसी जन्म में तमोगुण,रजो गुण से ऊपर उठ कर कर्मो द्वारा सतो गुण तक पहुचोगे तो शायद मुक्ति का मार्ग मिल जायगा। आशा हे समय निका लकर मेरी बात पर ध्यान देंगे। धन्यवाद।

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